आज १३ सितम्बर जनपद के प्रसिद्ध कवि स्व० श्री कृष्ण दयाल सक्सेना 'निस्पृह ' जी का जन्म दिवस है ,जो अपने मूल्यों के प्रति समर्पित एक आदर्श अध्यापक के रूप में जाने जाते थे। वे हिन्दी ,अंग्रेजी संस्कृत व उर्दू भाषों में काव्य रचना करते थे । प्रस्तुत है उनकी एक रचना-
........................न संघर्ष होते ,न उपलब्धि होती .
न संघर्ष होते , न उपलब्धि होती पराजय -विजय न फ़िर प्रश्न होता ।
न आकाश होते , प्रगतिशील मानव , न फ़िर चंद्र पाने की आशा सँजोता ;
न विज्ञान अपने प्रयोगों की निधि को , विफल्तांक में इस तरह न खोता ;
अमानव न होते ,न अवतार होते, न जो कंस आता , न फ़िर कृष्ण होता ;
न संघर्ष होते......................................................................। १ ।
न भगवान होते,न फ़िर भक्त होते,न जो साध्य होता न साधक ही होते;
न जो देवी होती ,उपासक न होते,न आराध्य होता ,न आराधक होते;
न जो इष्ट होता ,न फ़िर सिद्धि होती,सफल या विफल न फ़िर प्रश्न होता;
न संघर्ष............................................................ । २।
समस्या न होती ,न हल के लिए भी ,किसी की भी साधना ही न होती;
न संकल्प होता,न प्रण -पूर्ति की ही ,किसी को कभी भावना ही न होती;
प्रतिष्ठा न होती ,न व्रत पालने के, लिए ही कोई नर संलग्न होता ;
न संघर्ष होते.......................................................................।३।
न सत्कर्म होते ,न सत्संग होता,न जो संत होते, न होती भलाई ;
न फ़िर विश्व के गर्भ से ही कभी भी ,युगों से पनपती, न खोती बुराई;
न सदगुण जो होते,न ध्रुव-सत्य होता,नअन्याय का पथ कभी भग्न होता;
न संघर्ष होते........................................................ । ४।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! श्री कृष्ण दयाल सक्सेना 'निस्पृह' जी को मेरा नमन! हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ReplyDeletehttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
sahityik dharohar ki soochana par 12 comment aur ab is rachna par maatr 1, wah! yahi hai SAHITYA ke PRATI hamara YOGDAN.
ReplyDeleteAapke prayaas ko NAMAN
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteAapka prayaas bahut achcha hai....sadhuwad...aur subhkamayein.
ReplyDeleteEk gujarish hai ki kripya word verification ka jhanjhut hta de.jitna hum log sochte hai utna laabh nahi hota.maeri aur se gujarish hai jaruri baat nahi.......
ReplyDeleteDash Board se settings mai jaye fir settings se comment mai aur sabse niche show word verification mai 'nahi' chun le bus....
साहित्यिक धरोवर को सहेजने का योगदान बड़ी बात है. बहुत खुशी हुई. शुक्रिया. जारी रहें.
ReplyDelete--
Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
SAM KALIN PARIVESH PAR ITANI SUNDER RACHANA KE PRATI HAM NISPRAH JI KO NAMAN KARATE HAI ,न सत्कर्म होते ,न सत्संग होता,न जो संत होते, न होती भलाई ;
ReplyDeleteन फ़िर विश्व के गर्भ से ही कभी भी ,युगों से पनपती, न खोती बुराई;
न सदगुण जो होते,न ध्रुव-सत्य होता,नअन्याय का पथ कभी भग्न होता;
न संघर्ष होते.