Wednesday, September 30, 2009

गीतों के राजकुमार 'मंजुल मयंक '

स्व० गणेश प्रसाद खरे 'मंजुल मयंक' बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के निवासी थे। उनका नाम देश के प्रमुख गीतकारों में लिया जाता है । वे प्रसिद्ध कवि गोपाल दास 'नीरज' के साथी व समकालीन थे । उनके गीतों की अभिव्यक्ति एवं मधुर स्वर लहरी श्रोताओं को बरबस ही आकृष्ट कर लेती थी। यह एक अजीब संयोग है कि उनकी जन्म तिथि व पुण्य तिथि दोनों ही ३० सितम्बर को पड़ती हैं। प्रस्तुत है उनका एक बेहद लोकप्रिय गीत -

तुम आये सितारों को नीद गयी

रात ढलने लगी, चाँद बुझने लगा ,
तुम आए, सितारों को नींद गयी
धूप की पालकी पर ,किरण की दुल्हन,
के उतरी ,खिला हर सुमन, हर चमन ,
देखो बजती हैं भौरों की शहनाइयाँ ,
हर गली ,दौड़ कर, न्योत आया पवन,
बस तड़पते रहे ,सेज के ही सुमन,
तुम आए बहारों को नीद गयी१।
व्यर्थ बहती रही ,आंसुओं की नदी ,
प्राण आए तुम ,नेह की नाव में,
खोजते-खोजते तुमको लहरें थकीं,
अब तो छाले पड़े,लहर के पाँव में,
करवटें ही बदलती ,नदी रह गयी,
तुम आए किनारों को नींद गयी२।
रात आई, महावर रचे सांझ की ,
भर रहा माँग ,सिन्दूर सूरज लिये,
दिन हँसा,चूडियाँ लेती अंगडाइयां,
छू के आँचल ,बुझे आँगनों के दिये,
बिन तुम्हारे बुझा, आस का हर दिया,
तुम आए सहारों को नीद गयी
साहित्य जगत के ऐसे मनीषी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

2 comments:

  1. वाकई आपने सच कहा है. वाह!

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    अंतिम पढ़ाव पर- हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

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  2. NJUL JI KO HAMARI BHI HARDIK SRADHANJALI |

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