Saturday, January 2, 2010

साहित्य के माध्यम से सामाजिक जागरूकता के प्रति समर्पित -'१ विकल उरई'





आपने अकसर कार, बस, ट्रेन आदि से यात्रा करते समय सड़क-रेलवे लाइन के आसपास की दीवारों पर, पुलों की कोठियों पर प्रेरक संदेश लिखे देखे होंगे जो जनता को सोचने पर विवश कर देते हैं । ऐसे संदेश आपको अपने शहर की गलियों में घूमते-टहलते भी लिखे दिख जाते होंगे।-
‘नमस्कार दिल से बोला, चाहे करो सलाम। मकसद सबका एक है, हो प्रेम भरा प्रणाम।’
इस तरह की मन को आकर्षित करने वाली,एवं लोगों में जागरूकता का संचार करने वाले संदेशों साथ ‘ विकल, उरई’ लिखा देखकर कई प्रश्न कौंधते हैं। कौन है यह' १ विकल'? कोई व्यक्ति है, संस्था है अथवा कोई धर्म है? कहीं यह किसी नये धार्मिक-सामाजिक आन्दोलन की शुरुआत तो नहीं है?
ऐसा कुछ भी नहीं है, '१ विकल' हम और आप जैसा एक साधारण इंसान है जो अन्तरात्मा की आवाज पर स्थान-स्थान पर वाल पेंटिंग के द्वारा लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहा है।' विकल' जी का वास्तविक नाम श्री जागेश्वर दयाल है। जनपद जालौन (उ0प्र0) के ग्राम बिरगुवाँ बुजुर्ग में इनका जन्म खांगर क्षत्रिय (परिहार ठाकुर) परिवार में हुआ।
अपने जन्म स्थान के निकट स्थित बैरागढ़ की देवी माँ शारदा को अपना इष्ट मानने वाले 1 विकल के आराध्यदेव श्री बाँकेबिहारी हैं। कानपुर विश्वविद्यालय के स्नातक जागेश्वर दयाल देश के सर्वांगींण विकास हेतु सभी धर्मों को एकसमान रूप से एक हो जाने की मान्यता पर बल देते हैं। इसी कारण उन्होंने एक राष्ट्रीय धर्म चिन्ह की कल्पना कर उसका निर्माण किया और उसको स्वीकार्यता प्रदान करवाने हेतु महामहिम राष्ट्रपति जी को विनम्र निवेदन भी किया है।
उनके सामाजिक संदेश देने वाले कुछ मुख्य नारे इस प्रकार हैं--
देश की बेटी करे पुकार,
हमें चाहिए सम अधिकार।

बेटा-बेटी एक समान,
तभी बढ़ेगा हिन्दुस्तान।
राजनीतिक पार्टियों से आयें कुशल कार्यकर्ता,
तभी बनेगी देश में शुद्ध आचार-संहिता।

राष्ट्र में हो जब एकीकरण
तभी बनेगा सामाजिक समीकरण।
धर्म नहीं पाखण्ड वहाँ, नफरत पैदा हो जिसमें जब एक उसी की संतानें, फिर भेदभाव है किसमें।
जाति और धर्म के नाम पर, इतना बड़ा धोखा।
बाहर से चकाचक, अन्दर से खोखा ही खोखा।।
बकवास करते हैं वे सब, जो कहते हमने खुदा देखा। अरे खाक देखा उसने खुदा, जिसने खुद को नहीं देखा।।
पहले खुद के खुदा को जानो, बाद में दूसरों की बात मानो।
इससे बड़ा न कोई खुदा है न भगवान, बस इतना ही जानो।।
हिन्दू संगठन हो या मुसलमानी जमात,
सबसे ऊँची राष्ट्र की बात।

नवजवानों के सामने है, रोजी रोटी का सवाल।
ये देश की समस्या है, इसका उपाय हो तत्काल।।
हम दलों की बात नहीं करते हैं, दिलों की बात करते हैं। वतन के काम आये जो, उन महफिलों की बात करते हैं।।
हर किसी के सामने झुको नहीं, लक्ष्य से पहले रुको नहीं।
कामयाबी मिलेगी तुम्हें, पर गलत जगह यों टिको नहीं।।
जो जातिवाद जो फैला रहे,
वो देश के नायक कहला रहे।

जातिगत आरक्षण एक दिन, समाज में आग लगायेगा।
मरेगी गरीब जनता और ये मुद्दा बनके रह जायेगा ।। .
(सहयोग - डा ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर )

8 comments:

  1. १ विकल जी के बारे में हम भी कुछ लिख दे रहे हैं, आपके प्रयास को कुछ और लोगों तक पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं हम.

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  2. अच्छा प्रयास है , कुमारेन्द्र व वीरेन्द्र जी को बधाई ।

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  3. अच्छा प्रयास है , कुमारेन्द्र व वीरेन्द्र जी को बधाई ।

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  4. जाति और धर्म के नाम पर, इतना बड़ा धोखा।
    बाहर से चकाचक, अन्दर से खोखा ही खोखा।।

    ..इन पंक्त‍ियों को पढ़कर मन प्रफुल्ल‍ित हो गया
    1 व‍िकल के बारे में जानकारी देने के ल‍िए आभार..
    ऐसे ही लोगों के प्रयास आबोहवा में घुल रहे ज़हर के असर को कम करते हैं।

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  5. आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत बढ़िया लिखा है आपने! कुमारेन्द्र और वीरेन्द्र जी को बधाई ।

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  6. जो जातिवाद जो फैला रहे,
    वो देश के नायक कहला रहे।
    जातिगत आरक्षण एक दिन, समाज में आग लगायेगा।
    मरेगी गरीब जनता और ये मुद्दा बनके रह जायेगा ।। .
    Aur inheen logon ko desh 'rahnuma' kahta hai...afsos!

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  7. कितना सुन्दर लेख मिला ............सुपर

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