आज 22 मई जालौन जनपद के प्रिय गीतकार, अपने कवि मित्रों में 'मुक्तक सम्राट' के रूप में प्रसिद्ध, सुकवि आदर्श कुमार सक्सेना 'प्रहरी' ( मेरे अग्रज ) की पुण्य तिथि है .आज के दिन 2002 में क्रूर काल ने (हृदयाघात के कारण) उन्हें हमसे असमय ही छीन लिया था.
उन्हें हम सभी की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि.
उनका एक गीत संग्रह ' प्यास लगी ,तो दर्द पिया है ' प्रकाशित है ,जिसे काफी सराहा गया था. इसी संग्रह का उनका एक गीत प्रस्तुत है.
क्या अर्थ ऐसे त्याग का?
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क्या अर्थ ऐसे त्याग का?
क्या अर्थ ऐसे त्याग का?
जब रूढ़ियों की तह जमी,
उगने न दे गतियाँ नयी,
अपमान हो प्राचीन का,
इन नयी गतियों से कहीं?
हो 'लुप्त'यदि सौहार्द तो,
क्याअर्थ बन्धु! विरागका?
क्या अर्थ ऐसे त्याग का?
जब भावना की हो कमी,
अरु, दान की भी चाह हो,
उत्सर्ग के आह्वान पर,
संसर्ग रोके राह हो.
हो 'सुप्त' यदि बंधुत्व तो,
क्या अर्थ बोलो राग का ?
क्या अर्थ ऐसे त्याग का?
जब योगियों की भाँति तन,
हो मन भले ही कलुषतम,
तो बन सकेंगें, क्या अभी,
उत्तम यहाँ ये नराधम.
हो 'गुप्त' यदि संग्यान ,
तो क्या अर्थ है अनुराग का?
क्या अर्थ ऐसे त्याग का?
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