Saturday, August 19, 2017

फ़ोटोग्राफ़र दिवस पर स्व. गान्धी राम ' फ़ोकस' जी की याद


       आज सुबह जैसे ही मैने फ़ेसबुक पर नज़र डाली तो उरई IPTA के सचिव राज पप्पन की पोस्ट पर नज़र गयी जिसमे उन्होंने आज फ़ोटोग्राफ़र दिवस पर सभी फ़ोटोग्राफ़र भाइयों को बधाई दी थी.
        इस पोस्ट को पढ़ कर मेरा मन अपने नगर उरई के अतीत में चला गया.इस वर्ष ही मैने अपनी सेवा से अवकाश प्राप्त किया है. बचपन में आज से लगभग पचपन वर्ष पूर्व उरई के अतीत की स्मृतियॉ मानस-पटल पर आने लगीं , जब  नगर में यहाँ के माहिल तालाब के सामने दो  ही फ़ोटो स्टूडियों ही थे. पहला 'रमेश फ़ोटो स्टूडियो ' जो फ़ोटोग्राफ़र श्री रमेश चन्द्र सक्सेना का  था .वे अपने चाचा श्री गुट्टू सक्सेना व भाई श्री अवधेश चन्द्र सक्सेना के साथ बैठते थे. 
          दूसरा फ़ोटो स्टूडियो 'फ़ोकस फ़ोटो स्टूडियो 'फ़ोटोग्राफ़र श्री गान्धी राम गुप्त का था जो आज भी है.
          गॉधी राम जी हास्य व  व्यंग्य के समर्थ कवि थे. पहले उनका मूल नाम 'नाथू राम गुप्त ' था. पर जब १९४८ में नाथू राम गोडसे ने गॉधी जी की हत्या कर दी तो वे अपना नाम 'गॉधी राम ' लिखने लगे.
           फ़ोकस जी का व्यक्तित्व बडा प्रभावशाली था. गेरुआ वस्त्र व डाढी में वे एक साधु लगते थे.वे स्वयं योगासन में विश्वास करते थे और प्रसार भी.कई लोगों को योगासन सिखा कर उन्होंने उन्हें स्वास्थ्य लाभ कराया था.वे वाकई एक संत थे एवम् अत्यन्त सरल व नेक व्यक्ति  थे.
           वे अत्यन्त विनोदी स्वभाव के थे. वे हास्य एवं व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर थे. होली के पर्व पर ऐतिहासिक माहिल तालाब के किनारे  'मूर्ख दिवस'  मनाने की शुरुआत उन्होने ही की थी. यह परम्परा आज भी कायम है.
          उनकी दूकान पर जाते ही विनोदी वातावरण महसूस होने लगता था. सरल शब्दों में गंभीर बात कहना उनकी विशेषता थी.अपनी दूकान के सामने उन्होने अपनी चार पंक्तियॉ लिखा रखी थीं -
    "तन,  लडकपन औ जवानी,
                     सब    धरा  रह जायेगा.
      यादगारी के लिये,
                     फोटो .फकत रह जायेगा."
         
            उनकी दूकान पर लिखी चार पंक्तियॉ भी याद आतीं हैं-
        " जैसी    फोटो ,वैसे  दाम,
                       फोटोग्राफर    गॉधीराम."

           मेरे पिता श्री के.डी.सक्सेना एवं अग्रज आदर्श कुमार 'प्रहरी' भी कवि थे.फोकस जी अक्सर उनसे मिलने घर पर आते थे. मैने उनके मुख से उनकी कुछ कवितायें सुनी हैं.
            उनके दो गीत बडे  प्रसिद्ध रहे हैं--

"यदि हम सबने अपना -अपना
                                 धर्म ,न छोडा होता,
'पुष्पक विमान की जगह,
                       आज क्यों तॉगा,घोडा होता"

(उस समय तॉगे व घोडे ही उरई में चलते थे )
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          " हे! गुम्मा    तेरा  यश  महान"

             आज फ़ोटोग्राफ़र दिवस  पर  जनपद के  इस  महान  व्यंग्यकार को शत् शत् नमन.

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